मोदी सरकार के कार्यकाल का एक साल: विकास का विद्रूप प्रहसन
जिस नग्न निरंकुश और परभक्षी वित्तीय पूँजी ने अपने प्रबंधन समिति के रूप में राजकाज चलाने के लिए मोदी सरकार पर दाँव लगाया है उसके अनुरूप परिस्थितियाँ तैयार करने में मोदी की तत्परता पिछले एक वर्ष में देखी जा सकती है। आर्थिक जर्जरता इतनी प्रत्यक्ष है कि उसके बारे में आम लोगों को भ्रम में नहीं रखा जा सकता है। इसलिए फासीवादी चरित्रवाली भाजपा सरकार बौद्धिक सांस्कृतिक शैक्षिक प्रणाली के ज़रिये चीज़ों को सत्ता पक्ष के नज़रिये से समझने के लिए जनता को एक व्याख्यात्मक चौखटा देने की कोशिशों में लगी है। मोदी ने जब भारत में वैदिक और महाभारत काल से ही चिकित्सा विज्ञान के अति विकसित अवस्था में मौजूदगी का प्रमाण गणेश के कटे सिर को प्लास्टिक सर्जरी द्वारा जोड़ने और माँ के गर्भ के बिना कर्ण का जेनेटिक साइंस की मदद से जन्म लेने के उदाहरणों से दिया तो यह उनकी मूर्खता नहीं थी जैसा कि समझा जाता है। या भारतीय विज्ञान कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में जब एक तथाकथित वैज्ञानिक द्वारा भारत में सात हज़ार वर्ष पहले विमान की तकनीक के अत्यन्त विकसित होने का दावा करता पर्चा बिना किसी बाधा के पढ़ा गया था तो यह केवल कूपमण्डूकता और रूढ़िवादिता ही नहीं थी। बल्कि इन जानकारियों को पिछड़ी चेतना वाली जनता के दिमागों में एक सामान्य बोध के रूप में स्थापित करने का सचेतन प्रयास था। read more