दिशा सन्धान-1, अप्रैल-जून 2013

दिशा सन्धान-1, अप्रैल-जून 2013

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सम्‍पादकीय

‘दिशा सन्धान’ क्यों?

भारतीय कम्‍युनिस्‍ट आन्‍दोलन का इतिहास, समस्‍याएं व चुनौतियां

नक्सलबाड़ी और उत्तरवर्ती चार दशक: एक सिंहावलोकन (पहली किस्त) : दीपायन बोस

विश्‍व कम्‍युनिस्‍ट आन्‍दोलन का इतिहास, समस्‍याएं व चुनौतियां

सोवियत संघ में समाजवादी प्रयोगों के अनुभवः इतिहास और सिद्धान्त की समस्याएँ (पहली किस्त) / अभिनव सिन्‍हा

अर्थजगत

भारत में नवउदारवाद के दो दशक : सुखविन्दर

आधुनिक यूनानी त्रासदी के त्रासद नायक के विरोधाभास – समाजवाद के जुमलों के तहत रैडिकल सुधारवाद का उदय : सत्यम

खाद्य सुरक्षा के नाम पर जनता के लिए खाद्य असुरक्षा पैदा करने की तैयारी : तपीश मैन्दोला

पुस्‍तक समीक्षा

‘ख़तरनाक ढंग से सपने देखने’ और निष्क्रिय, नुकसानदेह और नामुराद सैद्धान्तिकीकरण का वर्ष – स्लावोय ज़िज़ेक की पुस्तक ‘दि इयर ऑफ ड्रीमिंग डेंजरसली’ की आलोचना : अभिनव सिन्‍हा

आज के ज्‍वलंत सवाल

दिल्ली सामूहिक बलात्कार काण्ड, जस्टिस वर्मा समिति की रिपोर्ट और सरकार का अपराध कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2013 : कात्यायनी

न्‍याय व्‍यवस्‍था

अफज़ल गुरू को फाँसीः बुर्जुआ “राष्ट्र” के सामूहिक अन्तःकरण की तुष्टि के लिए न्याय को तिलांजलि / शिवानी

महान क्रान्तिकारियों की कलम से

उद्धरण : दिशा सन्धान – अंक 1  (अप्रैल-जून 2015)

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Errata (भूल सुधार) :

‘दिशा संधान’ के अंक 1, मार्च-जून 2013 के प्रिंट संस्करण में लेख ”ख़तरनाक ढंग से सपने देखने’ और नुकसानदेह और नामुराद सैद्धांतिकीकरण का वर्ष’ में एलेन बेदियू का नाम हर जगह ग़लती से एलेन बेज्यू छप गया है, कृपया उसे एलेन बेदियू ही पढ़ें। वेब संस्करण में यह ग़लती नहीं है।

– सम्पादक (अगस्त, 2013)

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