माओ त्से-तुङ की बारह कविताएंं
‘तैरना’ कविता इस कठिन दौर में सर्वहारा शौर्य, आशावाद और भविष्य के प्रति अडिग विश्वास को प्रकट करती है। याङत्सी महानदी को तैर कर पार करने का बिम्ब मानो उक्त कठिन दौर के वर्ग संघर्ष से जूझने और धारा के विरुद्ध तैरने का सूचक है। कवि का खुले आकाश में दूर-दूर तक देखना क्रान्तिकारी कल्पनाशीलता और दूर-दृष्टि का परिचायक है। तूफानी हवाओं और लहरों का आह्वान वर्ग-संघर्ष का आह्वान है और इन लहरों के बीच निश्चिन्त होना बीहड़ सघर्षों में जीने की क्रान्तिकारी आदत की अभिव्यक्ति है। “यूँ चीजें बहती जाती हैं अविरल गति से”-यह इतिहास की सतत् परिवर्तनशीलता के प्रति विज्ञान-सम्मत आस्था को स्वर देता है। read more